मुंबई:
केंद्रिय वित्त राज्य मंत्री श्री भगवतजी कराड ने आश्वासन दिया कि वे प्रधान
मंत्री जी को अवगत कराएंगे कि टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन मुंबई की मांग न्यायसंगत
है। ज्वाइंट एक्शन कमीटी ऑफ टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन्स
मुंबई की यह
मांग है कि टेक्सटाइल क्षेत्र में जीएसटी दर वृद्धि को तत्काल स्थगित किया जाय।
आज
२८।१२।२१ की रात ११ बजे सह्याद्रि अतिथि गृह में केंद्रिय वित्त राज्य मंत्री श्री
भगवतजी कराड के साथ राज के पुरोहित के नेत्रत्व में ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों की GST में वृद्धि को स्थगित करने हेतु बैठक
हुई। मंत्री श्री ने हमारी माँग को उचित
ठहराया। उन्होंने कमेटी को आश्वासन दिया
कि वे कल सुबह प्रधान मंत्री जी को कमेटी की माँग से अवगत कराएंगे। हिंदुस्तान
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शिखरचंद जैन ने यह जानकारी दी।
शिखरचंद
जैन ने कहा कि कमेटी को पूर्ण विश्वास है की हमारी स्थगन की माँग स्वीकार की
जायेगी। इस मिटिंग में शिखरचंद जैन, धीरज कोठारी,
गीतेश उनडकट, शिव , सुरेश शाह, संतोष सोमानी व अन्य सदस्य उपस्थित थे।
श्री
भगवतजी कराड ने कहा कि वे दिनांक ३०।१२।२१ को GST कौंसिल की होने वाली बैठक में भी कमेटी का पक्ष रखेंगे।
आगामी
१ जनवरी २०२२ से टेक्सटाइल क्षेत्र में मौजूदा ५%GST को
बढ़ाकर १२% किया जा रहा है। ज्वाइंट एक्शन कमीटी ऑफ
टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन्स इसका विरोध कर रहा है। मुंबई कपड़ा व्यापार की
१३ संस्थाओं का यह एक सम्मलित मंच है। इसका नेतृत्व हिंदुस्तान चैंबर ऑफ
कामर्स, मुंबई कर रहा है।
शिखरचंद जैन ने कहा कि जीएसटी संरचना में एकरूपता के
कार्यान्वयन के कारण भारत के कपड़ा क्षेत्र में विशेषकर फैब्रिक उत्पादों पर
जीएसटी में वृद्धि से प्रतिकूल वित्तीय प्रभाव पड़ेगा। साथ ही उन्होंने सरकार से
यह अनुरोध किया हैं कि इसे साल दो साल के लिए स्थगित कर दें, जब
तक टेक्सटाइल जगत सामान्य स्थिति में नहीं पहुंच जाता है।
फैब्रिक
उत्पादक समूह जीएसटी ढांचे में बदलाव से खुश नहीं है। वह जीएसटी दर में बढ़ोतरी
को वापस लेने की मांग कर रहा है। मुंबई के कालबादेवी स्थित टेक्सटाइल ट्रेडर्स
एसोसिएशन जिसमें हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कामर्स अग्रणी है, ने इस मांग को लेकर केंद्र सरकार पर
कड़ा दबाव बनाने का फैसला किया है।
श्री
जैन का मानना है कि एक समान GST दर लागू होने से छोटी कंपनियां असंगठित
क्षेत्र में धकेल दी जाएगी। इस क्षेत्र को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा। अब सरकार
की नीति कपड़ा उद्योग को परेशानी में डाल रही है। मौजूदा हालत में कर की दर में वृद्धि
से टेक्सटाइल उद्योग पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। यह पहले से ही धीमी बिक्री
और उच्च लागत के कारण दबाव में है। इससे अंतिम उपभोक्ताओं के लिए दाम में वृद्धि
हो सकती है।
हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष ने कहा कि कपड़ा निर्माण से लेकर
बिक्री तक औसतन ६ महीने का समय लगता है। जीएसटी में ७%
वृद्धि का मतलब है कि हमे ४२% अधिक पूंजी की
आवश्यकता होगी। कोरोना के कारण राष्ट्रव्यापी बंदी के कारण व्यापार पूरी तरह
ठप रहा है, जबकि बैंकों
का व्याज जारी रहा है, कर्मचारियों का बेतन जारी रहा है। ३१ मार्च २०२०
को जो रकम उधारी थी, वह अटकी रही।
अन्य सारे सरकारी काम जस के तस रहे। उसके परिणामस्वरूप प्रत्येक व्यापारी
आर्थिक संकट से गुजर रहा है। बैंक में खाते NP हो रहे हैं। बैंक व्याज पर व्याज चढ़ाए
जा रही है। संपत्तियों पर पजेशन नोटिस भेज रही है। पैसा कहां से आएगा? यह ४२% की पूंजीगत वृद्धि कहां से आएगीᣛ?
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक उन्हीं को कर्ज देंगें जिनका खाता स्टैंडर्ड होगा। इस भयानक
त्रासदी के कारण किसके खाते ᣛ NP से बचे है ? अर्थात यह
कर्ज देने की घोषणा भी एक छलावा है।
श्री जैन ने कहा कि सरकार यदि कर संरचना समरूप करना
चाहती है तो वह क्यों नहीं सारे ढांचे को ५ % पर समरूप कर दे? जब सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि GST का कलेक्शन बढ़ रहा है तो इस बढ़ोतरी का औचित्य
क्या है?
उन्होंने कहा कि कपडा व्यवसाय पहले पूर्णरूप से कर मुक्त
था। पहले उत्पादन शुल्क लगा करता था। बाद में उसे भी पूर्ण रूप से हटा दिया गया
था। फिर GST का प्रावधान किया गया और उसका दर ५ % रखा गया। कपड़ा मानवमात्र की जरूरत है। जिस देश में ८५ % लोग निर्धन हैं वहां कपड़ा विलासिता की वस्तु नहीं है। यह जीवन के लिए
आवश्यक वस्तु है। इसे पूर्णरूप से कर मुक्त होना चाहिए। फिरभी ५ %GST की दर कपड़े पर रखी गयी।
श्री जैन ने पूछा कि अब एकरूपता के नाम पर यह छलावा क्यों किया जा
रहा है? २० माह के लॉकडाउन के बाद व्यापार उठना शुरू हुआ है। ऐसे में पुन: GST दर में वृद्धि कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है?
श्री
जैन ने कहा कि व्यापारी वर्ग सदा मोदी सरकार की नीतियों के
साथ खड़ा है। ऐसे में व्यापारी वर्ग को लहुलुहान करने की इस व्यवस्था को हम
कैसे स्वीकार करें?
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि अगले दो वर्षों तक कपड़ा व्यवसाय में ५ %GST दर ही लागू रहे। तत्पश्चात जो भी आवश्यकता हो वह रूपांतरित किया जाय। GST दर में बढ़ोतरी नहीं हो यह समय की मांग है। आज व्यापारी वर्ग को संरक्षण
की जरूरत है। ᣛ

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