वित्त वर्ष २२ की
तुलना में वित वर्ष२३ में विस्तार (expansion) अधिक सार्थक
और मूर्त होने की उम्मीद है। यह एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इस साल
अक्टूबर-नवंबर के रिकवरी के आंकड़े व्यापक आधार की ओर इशारा नहीं करते हैं। फिर भी
हम आशावादी हैं कि आने वाले वर्ष में भारत में आर्थिक सुधार में स्थायित्व आएगा। देश
ओमाइक्रोन संस्करण के विकसित प्रभाव के प्रति सतर्क हैं। भारतीय रिजर्व बैंक का सर्वेक्षण
बताता है कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता का विश्वास(confidence) बढ़ा है।
मांग में वृद्धि हुई है। इसका प्रमाण हाल के महीनों में
व्यापारिक वस्तुओं के आयात में उछाल से मिलता है। ICRA को उम्मीद है
कि बढ़ती खपत 2022 के अंत तक उपयोग
क्षमता( capacity utilisation) को 75 प्रतिशत की सीमा
से ऊपर धकेल देगी। इससे 2023 में निजी
क्षेत्र में निवेश गतिविधि (investment activity) गति पकड़ेगा।
ICRA को यह भी उम्मीद है कि 2022 में तेजी से
सरकारी खर्च बढ़ने वाला है क्योंकि राजस्व में लगातार वृद्धि दिख रही है। राज्य
सरकारों को जीएसटी मुआवजे का प्रावधान मूल रूप से जून 2022 के अंत में
समाप्त करने की योजना थी। 2022 के दौरान नकदी प्रवाह पर पर्याप्त धन हस्तांतरित किया
जाएगा। यह राज्यों को एक नरम लैंडिंग की पेशकश करेगा। यह विकास का एक प्रमुख इंजन राज्य
के खर्च को बढाएगा। यह अर्थव्यवस्था
में विश्वास को बढ़ावा देगा।
आईसीआरए ने अनुमान लगाया है कि COVID-19
महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को FY2021-23 के दो वर्षों में वास्तविक रूप में 39.3 ट्रिलियन शुद्ध
नुकसान होगा। मगर फिरभी अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी। उसमें
अपेक्षित सुधार (recovery) होगी।

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