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दिल्‍ली में हुए हिंसा के पीछ बड़ी अंतर्राष्‍ट्रीय साजिश

 

Greta Thunberg

दिल्‍ली में हुए हिंसा के पीछ बड़ी अंतर्राष्‍ट्रीय साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इसके पीछे खालिस्‍तानी संगठन हैं। दिल्‍ली पुलिस ने इस मामले में एक मुकदमा दर्ज किया है। पिछले दिनो स्‍वेडेन की रहने वाली पर्यावरण एक्टिविस्‍ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन को समर्थन करते हुए ट्विट किया। ट्विट में उसने टूल किट शेयर किया।

 

पुलिस को इस टूल किट से बहुत सारे राज़ का पता चला है। इससे २६ जनवरी दंगे और उपद्रव के पीछे अंतर्राष्‍ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है। इस ग्रेटा का खलिस्‍टान से नेक्‍सस है। इसके साजिश के पिछे फंडिंग का खेल है। किसान आंदोलन के नाम पर गणतंत्र दिवस के दिन जो हिंसा हुयी उसकी स्‍क्रिप्‍ट पहले लिखी जा चुकी थी। इसका पर्दाफाश दिल्‍ली पुलिस ने किया है।

 

ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूल किट जारी किया था, वह एक बड़ी साजिश का हिस्‍सा है। २६ जनवरी को हूबहू वैसी ही हिंसा हुयी। इस हिंसा के साजिश कर्ता और ग्रेटा थनबर्ग में रिश्‍ता स्‍पष्‍ट है।

 


दिल्‍ली पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि यह दिंल्‍ली उपद्रव का एक्‍जीक्‍यूशन बिलकुल कौपी था, उस प्‍लैन का जो उस डक्‍यूमेंट में है। पुलिस ने टूल किट के औथर के खिलाफ़ केस दर्ज किया है। दिल्‍ली पुलिस की साइबर सेल इसकी जांच कर रही है।

 

टूल किट में २६ जनवरी का जि़क्र १४ बार किया गया है। इसे ग्रेटा ने ३ फरवरी को ट्विट किया था। उसे अब उसने डिलीट कर दिया है। इससे साबित होता है कि दिल्‍ली में हुई हिंसा की प्‍लैनिंग पूर्व में ही रची गयी थी। इसीलिए २६ जनवरी पर अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर विरोध का आहवान किया गया।

 

उसके टूल किट में www.askindiawhy.com  का लिंक दिया गया है। इसे खोलते ही आपको भारत के खिलाफ़ झूठे आरोपों का एक सिलसिला दिखई देगा। यह पेज पोएटिक जस्‍टिस फाउंडेशन चलाता है। पोएटिक जस्‍टिस फाउंडेशन पौप सिंगर रेहाना और ग्रेटा थनबर्ग को फंड करती है। खालिस्‍तानी समर्थक नामी लोगों की मदद लेकर भारत में नफ़रत और जहर फैला रहे हैं।


 

टूल किट में पूरा प्रोपेगेंडा और झूठ

इस टूल किट में पूरा प्रोपेगेंडा और झूठ फैलाया गया है। इसमें अर्जेंट एक्‍शन शीर्षक के तहत किसानो पर अभियान चलाने का जिक्र है। इसमें १३ और १४ फरवरी को बड़े प्रदर्शन का आवाहन है।

दूसरा शीर्षक है, प्रायर एक्‍शन। इसमें १३ और १४ फरवरी को होने वाले  प्रदर्शन से पहले के कामों का जिक्र है। इसमें पीएमओ, कृषि मंत्री, राष्‍ट्रपति, आइएमएफ, डबलूटीओ, और वर्ल्‍ड बैंक को टैग करने के लिए कहा गया है। इस टूल किट में ३ अलग अलग लिंक भी दिए गये हैं। पहले लिंक में किसान आंदोलन के समर्थन में ऑनलाइन हस्‍ताक्षर अभियान चलाने का जिक्र है। तीससे लिंक में यह जिक्र है कि किसानों के समर्थन में इंगलैंड के सांसदों को कैसे लाया जाय। दूसरे लिंक में खालिस्‍तान की इंट्री है। लींक का शीर्षक है कि भारत शांतिपूण किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ हिंसा का इस्‍तेमाल क्‍यों कर रहा है?#askindiawhy

 

इसको चलाने वाला खालिस्‍तानी समर्थक मो थालीवाल है। नए किट में पीएम मोदी के खिलाफ़ नफ़रत भरे लेख लिखे गये हैं।  

 

सवाल यह है कि आखिर इस किसान आंदोलन को इतनी फर्जीवारा करने की क्‍या जरूरत पड़ रही है? अगर आंदोलनकारियों की मांगों में दम होता तो आज उसके साथ सारा देश खड़ा होता और सरकार बेबस हो जाती। मगर देश के लोग तो इस आंदोलन की हकीतकत से वाकिफ हैं। और सार देश इस किसान कानून का समर्थन कर रहा है।    


 

दंगे की पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन

 

ग्रेटा थनबर्ग की तरफ से जो ट्वीट किया गया था, उसमें एक लिंक था askindiawhy.com । इस लिंक की मदद से एक वेबसाइट www.askindiawhy.com खुली। इस वेबसाइट का एक पेज है Poetic Justice Foundationdia in ger (प्‍वेटिक जस्टिस फाउंडेशन)। उसमें एक लिंक खुलता है, Global Action Day (ग्‍लोबल डे एक्‍शन)। उसमें पूरी एक्‍शन की पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन है। उससे पता चलता है कि किसान आंदोलन के नाम पर जो फर्जी आंदोलन कर रहे हैं उन्‍हें क्‍या करना है।

इनको पहले से पता है कि ३ जनवरी को क्‍या करना है, ४ जनवरी को क्‍या करना है, २६ जनवरी को क्‍या करना है, इत्‍यादि। इसमें दिल्‍ली को जलाने की पूरी पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार की गयी है। यह आंदोलन रिमोट से चल रहा था। यह कानून तो बस बहाना था। दंगों की आग भड़काना था और उसमें पूरे देश को झोंकने की योजना थी।

ग्‍लोबल डे ऑफ एक्‍शन

फ्रंट पेज पर लिखा है: ग्‍लोबल डे ऑफ एक्‍शन। इसमें दंगों की तिथि लिखी है २६ जनवरी २०२१। यह तीन जनवरी से पूर्व ही यह पावर प्‍वाइंट प्रजेंटेशन बनी होगी। तभी सब कुछ तय हो गया था। अगले पेज में एक पूरा खांका बना है। इसमें पूरे दंगे की एक डेट सीट बनी है। इसमें  ३ जनवरी, ८ जनवरी, १० जनवरी, १३ जनवरी, १७ जनवरी, २० जनवरी, को क्‍या करना है, यह लिखा है। और आखिर में लिखा है, Done: २६ जनवरी प्रोटेस्‍ट डे

 

यह पावर प्‍वाइंट प्रजेंटेशन तो ३ जनवरी को बन गयी होगी। उसी दिन यह तय कर लिया गया था कि २६ जनवरी को क्‍या करना है। इसीलिये किसान नेता २६ जनवरी की जिद पर अड़े रहे।

 

इसमें लिखा गया है: There are three Punjabs: ईस्‍ट (भारत), वेस्‍ट (पाकिस्‍तान) and over the entire world इसमें सिक्‍खों की भावना को भड़काने की कोशिश की गयी है। इसमें जयचंद टाइप के स्लिपर सेलों का भी जिक्र है। इसमें एक प्‍वाइंट है कि Indian liberal and urbanites are not fully expressing their supports.

 


इस पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन में स्‍ट्रेंथ है, विकनेस है, अपरचुनिटीज हैं, थ्रेट्स हैं।

Weakness

इसके विकनेस में एक प्‍वाइंट है कि नो प्‍लॉन वियोंड रिपील। मतलब यदि कृषि कानून वापस हो गये तो आगे क्‍या करेंगे। इसको यह अपनी कमी समझते हैं कि कृषि कानून तो एक बहाना है। यदि सरकार कृषि कानून वापस ले लेती है तो इसके बाद वे क्‍या करेंगे इसका तो इनके पास कुछ प्‍लान नहीं है।

Threat  

थ्रेट में लिखा है कि इसमें भारत सरकार दखलअंदाजी करेगी। दूसरा  State Violance अर्थात यदि कानून के समर्थन में लोग सड़कों पर आ गये तो क्‍या? तीसरा प्‍वाइंट है गोदी मिडिया। गोदी मीडिया से इनका मतलब राष्‍ट्रवादी मीडिया है। इस राष्‍ट्रवादी मीडिया से सबसे ज्‍यादा डरते हैं वे लोग। क्‍योंकि इनकी पोल सबसे ज्‍यादा वही खोल रहे हैं। अब इस ग्रेटा की गलती से इनका भांडा फूट गया।

Opportunities 

Communities  through  out  the  world. इनकी मदद के लिए पूरी दुनिया में लोग और कौम्‍यूनिटिज हैं।

Mainstream Media accessibilities. आपने देखा था किस तरह राजदीप ने अपने चैनेल के माध्‍यम से अफवाह फैलाया कि एक लड़के के सर में पुलिस ने गोली मारी। इस अफवाह ने काम भी किया। पुलिस पर उग्र हमले हुए। उसके अलावा भी मेनस्‍ट्रीम मीडिया में अनेकों हैं जो राष्‍ट्र विरोधी तत्‍व हैं। यह इनकी   औपरचुनिटीज हैं।

Social media activism in the west: इससे इनका मतलब है रेहाना, ग्रेटा, बीबीसी, वासिंगटन पोस्ट, आदि जो हमेशा भारत विरोधी हैं।

Disrupt yoga and chai image of India in general : मतलब यह कि भारत की जो योग वाली छवि है उसे डेंट करना इनका मकसद है। यह आंदोलन रिमोट से चल रहा था।  

इस फर्जी आंदोलन में जो भी शामिल हैं उन पर कार्रवाई जरूरी है।

 

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