ममता बनर्जी को चोट कैसे लगी यह सब जानते हैं। मगर उनके साथ जो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी थे वे गुमसुम हैं। वे कुछ कह नहीं सकते हैं। चुनाव आयोग ने उन अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगा है।
चीफ सेक्रेटरी ने रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गाड़ी के दरवाजे से उनको चोट लगी। चुनाव आयोग ने कहा कि इतने से काम नहीं चलेगा। आप यह बताइए कि चोट लगी कैसे। अब चीफ सेक्रेटरी, जिलाधिकारी, पुलिस प्रमुख सब परेशान हैं कि क्या कहें, क्या करें।
लेकिन फिरभी ममता बनर्जी और तमाम टीएमसी के नेता, प्रवक्ता वही राग अलाप रहे हैं कि चार पांच लोग आए, धक्का दिया, और गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया। उनका सांस फूलने लगा। उनके पैर पर गाड़ी चढ़ा दी। (और बाद में वे सब अदृष्य हो गये।) पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पायी। बेशक ममता बनर्जी को अतिरिक्त सहानुभूति चाहिए। मगर इसके लिए सरासर झूठ क्यों बोला गया, यह सवाल उठता है।
बेशक, ममता बनर्जी की एक्टिंग अच्छी थी, मगर स्क्रिप्ट ग़लत था। स्क्रिप्ट अच्छी नहीं हो तो दिलिप कुमार की फिल्म भी पिट सकती है, अमिताभ बच्चन की फिल्म भी पिट सकती है। यहां भी यही गड़बड़ हो गयी। आज ये इतने हतास हो गये हैं कि यह इनकी आदत बन गयी है कि हर बात पर बीजेपी को ब्लेम करो।
ममता बनर्जी कह रही हैं कि वहां कोई भी पुलिस नहीं थी । मुझको गाड़ी में बोंद कर दिया। मुझको देखो, कितना चोट लगा है। बहुत दोरद हो रहा है। मेरा सांस फूल रोहा है। बेचारी बोल नहीं पा रही थीं। वह कह रहीं थीं कि मेरा पैर सूज गया है। और जो फोटो में उन्होंने दिखाया उसमें कोई सूजन नहीं है। बेशक एक्टिंग अच्छी थी । जीवंत लग रहा था। मगर उसकी टाइमिंग गलत हो गयी।
वेस्ट बंगाल में सबसे सेक्योर्ड कोई है तो वह ममता बनर्जी है। वेस्ट बंगाल की चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी, होम मिनिस्टर ममता बनर्जी। उसके पास जेड कैटेगोरी की सुरक्षा लगी है। उनकी सुरक्षा में ४ डीसीपी लगे रहते हैं। उनके साथ ५०० पुलिसकर्मी लगे रहते हैं । फिर ऐसी सुरक्षा में ५ आदमी कैसे सेंध लगा सकता है, वह भी खाली हाथ। अगर वेस्ट बंगाल में ममता बनर्जी सुरक्षित नहीं है तो वहां के लॉ एंड आर्डर पर ही चुनाव होना चाहिए। अबतक बीजेपी, और बाम दल कह रहे थे कि हमारे कैडेट सुरक्षित नहीं हैं। अब ममता बनर्जी कह रही हैं कि चीफ मिनिस्टर भी सुरक्षित नहीं है। यह तो चूतियापे का हद है।
ममता बनर्जी जिन चार पांच लोगों की बात कर रहीं हैं वे हमला करके कहां चले गये। इतनी बड़ी सुरक्षा घेरा को तोड़ कर वे कहां चले गये? किस तरह चले गये? ममता बनर्जी के सेकुरिटी में जो लोग थे वे उसमें से एक को भी पकड़ नहीं पाए।
इनकी यह आदत बन गयी कि कुछ भी हो तो पहले ब्लेम बीजेपी को करो । बाद में देखेंगे कि क्या होता है। सबाल उठता है कि यदि बीजेपी ने हमला कराया तो इससे उनका क्या फायदा हो सकता है। कुछ भी नहीं। यह तो बीजेपी के चुनाव रणनीति के विरुद्ध जाएगा। क्या यह बात बीजेपी नहीं जानती है।
पहले दिन बोला कि इनके पांव की हड्डी टूट गयी है। प्लास्टर लगाया गया है। आज दो दिनों के भीतर प्लास्टर हटा कर बैंडेज कर दिया गया। आज सब जानते हैं कि प्लास्टर लग गया तो १५ दिनों के भीतर वह निकाला नहीं जाता। ममता बनर्जी ने खुद को खुद ही झूठा साबित किया है। बीजेपी का कद वेस्ट बंगाल में उंचा करने में स्वयं ममता बनर्जी का बड़ा हाथ है।
ममता बनर्जी का यही इतिहास है। उनकी पूरी राजनीति इन्हीं ड्रामों पर आधारित है। यह तो मेरा अनुमान था कि वह कोई न कोई ड्रामा करेगी। उन्होंने अपने ऊपर एटैक का जो यह ड्रामा किया इसे अंत में होना चाहिए था । मगर स्क्रिप्ट रायटर (प्रसांत किशोर) से यह चूक हो गयी। या फिर ममता बनर्जी अधीर हो गयी और हड़बड़ाई में पहले कर दिया। यह नाटक का अंत का सीन था जो उन्होंने पहले खेल लिया। और वो भी ठीक से खेला नहीं।
यह ममता बनर्जी की मूर्खता कि अति है कि चारों तरफ से कैमरे लगे हैं। चारों तरफ हाई सेकुरिटी लगी है। फिर भी ममता जी कहती हैं कि चार पांच लोगों ने आकर मुझे धकिया दिया । आप गाड़ी में बैठे थे और आप को किसी ने धकिया दिया । आप गाड़ी में बैठे हैं तो आपको धक्का कौन देगा। या तो आपको ड्राइबर देगा या आपका सेकुरिटी वाला देगा।
प्रशांत किशोर इसी तरह का स्क्रिप्ट लिखता है। ममता देवी इसी तरह की एक्टिंग करती रही है। जब वह कांग्रेस में थी तब वह क्या क्या नौटंकी करती रही है। उसका पुराना इतिहास है। इसी तरह का नाटक करके वह आगे बढ़ी है।







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