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| Shikarchand Jain, Vice President, Hindustan Chamber of Commerce |
मुंबई : व्यापारियों की स्थिति ऐसी बन गयी है कि उनके पैर बांध दिए गये हैं और उनसे कहा जा रहा है कि दौड़ लगाओ। अब बैंक कह रहे हैं कि आप ब्याज भरिए। यह कैसे संभव होगा यह एक प्रश्न है? हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कामर्स के उपाध्यक्ष शिखरचंद जैन ने यह सवाल खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि मुंबई की लाइफ लाइन बंद है। बाहर गांव की ट्रेन भी पूरी तरह से चालू नहीं हैं। हमारे आदमी बाहर जा नहीं सकते। वे विदेश भी नहीं जा सकते। ऐसे में हमारा पैसा जो व्यापारियों में अटका हुआ है, कैसे आएगा?
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने चतुराई से सारा बोझ राज्य सरकारों पर डाल दिया कि आप अपने यहां जो चाहेें करें। आप लॉक करो, अनलॉक करो, अपना गाइडलाइन बनाओ। आप उसका क्रियान्वयन करो। केंद्र सरकार ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया और अब रिजर्ब बैंक कहती है कि आपके अकाउंट में जो ड्यू है, आप वह पैसा भरो। और कौन सा पैसा? वह जो आपने एक साल पहले गहमेंट गैरेंटी स्कीम के तहत दिया था कोविड के लिए। बाकी तो बैंकों को सारा पैसा मिल रहा है, सारा ब्याज मिल रहा है।
जो थोड़ी बहुत रकम शेष रह गयी थी वह बैंकों ने १ अप्रैल को खाते में डेबिट कर दिया। अब वह पैसा व्यापारी लाएंगे कहां से? व्यापार ही यदि सारा बंद है, कैसे आएगा पैसा?
श्री जैन ने कहा कि सरकार की अपनी सामर्थ्य है। वह जिसको जितना चाहे दे सकती है। इस समय सरकार की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि भारत का व्यापार पुनर्जीवित हो, पुनर्जागृत हो, और पूरे उत्साह के साथ आगे बढ़े।
हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कामर्स के उपाध्यक्ष ने कहा कि जिसका व्यापार १०० करोड़ था वह आज १० करोड़ तक सिमट कर रह गया है। वह कैसे क्षतिपूर्ति करे यह एक सवाल है। जबकि हेल्थ सेक्टर का काम बढियां चल रहा है। सरकारी कर्मचारियों का वेतन चालू है। व्यापारियों का घर खर्चा कैसे चलेगा यह प्रश्न खड़ा हो गया है। वह कहां से पैसा लाए? वह अपने कर्मचारियों का पगार कहा से लाकर दे? यह आज चिंता और चिंतन का विषय है।
शिखरचंद जैन ने कहा कि हमारी मांगे तो बहुत हैं मगर अभी हम बस सरकार के समने चंद मांगें रखते है कि थोड़ा सा मोरीटोरियम दे दो। थोड़ी से सुविधा दे दो। थोड़ा समय तो दो, जिससे हम भी जिंदा रह सकें।
उन्होंने कहा कि हमारी केंद्र सरकार से, विशेषकर वित्त मंत्री से, वाणिज्य मंत्री से और प्रधान मंत्री से यह मांग है कि यदि व्यापार को जिंदा रखना है तो कृपया रिजर्ब बैंक के द्वारा व्यापारियों को राहत दिलाइए।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले जिन छूट की घोषणा हुयी थी वे सब व्यर्थ हैं। उसका व्यापारियों की सहायता से कोई मतलब ही नहीं है।
श्री जैन ने कहा कि सरकार ने पिछले साल कोविड के समय में जो छूट दी थी उसकी इस साल सख्त जरूरत है। इस साल स्थिति पिछले साल से बदतर है। मगर हम चाहते हैं कि सरकार उतना ही कर दे। गत साल सरकार ने ६ महीने का मोरेटोरियम दिया था। इस साल भी सरकार उतना ही कर दे। तभी जाकर व्यापार खड़ा रह पाएगा। अन्यथा व्यापार खड़ा नहीं रह पाएगा।
श्री जैन ने कहा कि आज हमारे व्यापार जगत की बहुत सारी कठिनाइयां हैं। उसका समाधान सरकार करे यही हमारी सरकार से अपेक्षा है। और तुरंत करे यह समय की मांग है।







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