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शरद पवार की तरफ से सोनियां गांधी को खुली चुनौती: भाव तोरसेकर

 


 

पिछले सप्‍ताह राजनैतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर मुंबई आए थे। शरद पवार के घर पधारे थे। दोनो में लंच के दौरान तीन चार घंटे बात हुयी थी। तभी लगा कि शरद पवार शायद कोई नया गेम प्‍लान कर रहे हैं।

कल उन्‍नीस जून को शरद पवार अचानक दिल्‍ली पहुंच गये। सुना है कि  शरद पवार ने मंगलवार को पंद्रह बीस विरोधी दलों के नेताओं की बैठक बुलायी है।

 

इसका सीधार मतलब यह है कि शरद पवार जी खुलेआम मैदान में उतर गये हैं। उन्‍होंने खुलेआम सोनियां गांधी को चुनौती दी है।

 

राहुल को कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाया गया मगर सोनियां जी यूपीए की अध्‍यक्ष बनी रहीं। राहुल गांधी के इस्‍तीफे के बाद सोनिया जी टेम्‍पररी अध्‍यक्ष बन गयी। आज उन्‍होंने दोनो पदों पर अपने को कायम रखा है।

 

 

 

कांग्रेस और शिवसेना और शरद पवार को साथ आए लगभग डेढ़ साल हुए हैं। शरद पवार सामना के संपादक संजय राउत का आगे करके बार बार यह सूचित कर रहे थे कि यूपीए  का लीडरशिप बदलना चाहिए। पवार साहब ने कभी खुलेआम यह बात नहीं की। उनकी पार्टी की तरफ से कभी यह बोला नहीं गया।

 

मुंबई की अधारी सरकार में शिवसेना समाविष्‍ट है। फिर भी शिवसेना यह बात करती रही। वह महाराष्‍ट्र के कांग्रेसी नेताओं को उकसाती रही।

 

मजे की बात यह है कि यूपीए में शिवसेना नदारद है। फिर वह यूपीए के के अध्‍यक्ष पद के बारे में क्‍यों बात करती है? उसे यह करने की क्‍या जरूरत है?

 


मुंबई के कांगेसी नेता संजय राउत को बार यह बताते रहे कि आपको अभी यूपीए में नहीं लिया गया है। आप उसके अध्‍यक्ष पद की बात क्‍यों करते हैं? किस हैसियत से करते हैं। फिर भी संजय राउत लगातार शरद पवार के लिए लौबीइंग करते रहे।

 

बंगाल में ममता की भारी जीत हुई है। वहां कांग्रेस का सुपरा साफ हो गया है। इसके बाद ही शरद पवार ने प्रशांत किशोर के साथ संपर्क साधा । उनको मुंबई बुला लिया। कल दिल्‍ली में उनकी बैठक हो गयी। उन्‍होंने सानिया जी से संपर्क किए बगैर विरोधी दलों की एक बैठक बुलायी है। इसका मतलब है कि उन्‍होंने एक तरह से धोषणा कर दी कि यदि मौजूदा राजनीति में कांग्रेस ढंग से मोदी के खिलाफ नेतृत्‍व नहीं करना चाहती है, या नहीं कर सकती है तो उसका नेतृत्‍व मैं करुंगा।


 

यह एक चुनौती है सोनियां को भी राहुल को भी और पिरयंका को भी। चुनौती यह है कि देखो मेरे साथ प्रशांत किशोर आ गया।

 

प्रशांत किशोर का मतलब मोदी के खिलाफ चुनाव जीतना होता है। आज वह एक ब्रांड बन गया है। बीजेपी की देश भर में अच्‍छी संगठन है। उसके पास चुनाव मशीनरी है। फिरभी प्रशांत किशोर में उसे हराने की ताकत है। वह आज पवार के साथ आ गया है यह एक बड़ा सिंबोलिज्‍म है। तमाम हारे हुए निराश विरोधी दलों के लिए यह आशा का एक किरण बन सकता है। यही सोच कर शरद पवार जी ने यह बैठक बुलायी है। वे आज दिल्‍ली में हैं मगर उन्‍होंने  सोनियां जी से बात नहीं की है। प्रशांत किशोर के साथ उनकी दूसरी बैठक हो गयी,  दूसरी चर्चा हो गयी।

 

मंगलबार को पवार ने पंद्रह विरोधी दलों के  नेताओं की बैठक बुलायी है। इसका मतलब है कि मोदी के विरुद्ध वे क्‍या करेंगे ये बात दीगर है मगर वे यूपीए के लिए कोई अलटरनेटिव तलाश रहे हैं। मतलब यूपीए बगैर कांग्रेस।

 

ममता ने बंगाल में जो कोशिश की है उसका मायने वही है। उसने बीजेपी के विरुद्ध  और कांग्रेस के बगैर चुनाव लड़ा। उसने कांग्रेस के बोटरों को अपील किया कि यदि तुम मादी के खिलाफ हो तो कांग्रेस को बोट देकर अपना बोट खराब मत करो। कांग्रेस को बोट देना बीजेपी को मदद करने के बराबर होगा। ममता के कांग्रेस का साथ नहीं लिया मगर उसने कांग्रेस के बोटरों को अपील किया। उसको जो रेसपोंस मिला है उससे शरद पवार और प्रशांत किशोर शायद प्रभावित हुए हैं। उन्‍होंने तय किया है कि यदि मां अपने बेटे के गीत गाती रही तो कांग्रेस के नेता और संगठन के बजाय कांग्रेस को बोटरों को अपील करेंगे।

 

शरद पवार यह सिगनल देना चाहते हैं कि प्रशांत किशोर एक एलाएंस बनाना चाहता है। इसमें यूपीए के अनेक बचे खुचे लोग और पार्टियां आएंगी। बिहार की आरजेडी यूपी की सपा इस गठबंधन में आ जाती हैं तो नार्थ इंडिया में यह बड़ा प्रभावी गठबंधन बन सकता है। इसमें शायद ममता भी आ जांए। पवार इसी तरह का गठबंधन बनाना चाहती है।

 

२०१९ के चुनाव से पहले तेलांगाना के चंद्रशेखर राव यह कोशिश कर रहे थे। उन्‍होंने उस समय कहा था कि बगैर बीजेपी, बगैर कांग्रेस एक थर्ड फ्रंट बनना चाहिए। पवार साहब उसी दिशा में बढ रहे हैं। कांग्रेस के भीतर एक जी २३ है जिसमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा आदि शामिल हैं, उनके साथ आ सकते हैं, जो राहुल खिलाफ हो गये हैं।

यह पवार साहब की तरफ से सोनियां जी को खुली चुनौती है।  

( सौजन्‍य: भाव तोरसेकर, वरिष्‍ठ  पत्रकार एवं विचारक )  

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